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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कैश बरामद होने की घटना के बाद ही से देश भर में न्यायपालिका पर कई सिरे से बहस हो रही है. इस बीच देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने एनजेएसी – नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन का जिक्र छेड़ दिया है. धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि अगर न्यायिक नियक्तियां एनजेएसी के हिसाब से होतीं तो आज स्थिति कुछ अलग होती.

एनजेएसी के जरिये जजों की नियुक्ति वाले कानून को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. एनजेएसी देश की विधायिका और न्यायपालिका के बीच एक तल्खी पैदा करने वाली ईकाई साबित हुई थी. अब कहा जा रहा है कि जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के मुद्दे पर सभी दलों के नेताओं से बात की है. वहीं, इसका जिक्र आया. इधर सुप्रीम कोर्ट जस्टिस वर्मा के मामले की तीन सदस्यीय जांच करा रही है.

NJAC में क्या व्यवस्था थी?

इस कमिटी में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के जज अनु शिवरामन हैं. जजों की नियुक्ति के लिए नेशनल ज्युडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन लाने के लिए केंद्र सरकार ने 2014 में एक कानून संसद से पारित कराया था.

मगर अगले बरस 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया. एनजेएसी कानून के तहत जजों की नियुक्ति तो मौजूदा कॉलेजियम के बजाय 6 सदस्यीय एक कमिटी के पास चली जाती. जिसका मुखिया देश के मुख्य न्यायधीश होते. सीजेआई के अलावा एनजेएसी में सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज, देश के कानून मंत्री और दो प्रख्यात लोगों के होने की भी बात थी.

इन दो प्रख्यात लोगों का चयन प्रधानमंत्री, देश के मुख्य न्यायधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता को करना था. मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसकी कोई आवश्यकता न मानते हुए मौजूदा कॉलेजियम की व्यवस्था को ही जारी रखने का आदेश दिया. आइये समझें कॉलेजियम के जरिये किस तरह नियुक्ति होती है.

अभी कैसे होती है नियुक्ति?

कॉलेजियम एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति और तबादले होते हैं. कॉलेजियम की व्यवस्था को लेकर न तो संविधान में कुछ कहा गया है, और ना ही संसद के किसी कानून के जरिये इसे लाया गया है. बल्कि, सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग फैसलों के आधार पर जजों की नियुक्ति की ये व्यवस्था हकीकत में आई और आगे बढ़ती रही.

सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम में पांच जज होते हैं. जिसकी सदारत देश के मुख्य न्यायधीश के पास होती है. जबकि बाकी के चार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज होते हैं. वहीं, हाईकोर्ट कॉलेजियम में संबंधित उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस और दो सबसे वरिष्ठ जज होते हैं. जज रिटायर होने तक और फिर अपनी वरिष्ठता के हिसाब से कॉलेजियम का हिस्सा होते हैं, और फिर उसके बाद वे उससे अलग हो जाते हैं.

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